Friday, November 20, 2009

कविता

कविता: रवींद्र स्वप्निल प्रजापति

जहां बहुत सारे कंप्यूटर रखे हों


रंगीन दुनिया में सब चीजें स्क्रीन जैसी दिखने लगी हैं
जहां एक की दबाते ही पृथ्वी डाटा बनकर सामने आने लगती है
और एक लड़का अपने प्रेम पर सर्फिंग शुरू कर देता है

उसने डाटाओं में प्रेम के लिए थोड़ा-सा कोना बचा लिया है
और घूमने लगता है इधर-उधर

नेट पर डाटा प्राप्त करता हुआ लड़का
कह देता है - प्लीज वेट कीजिएगा
और झुक जाता है स्क्रीन पर

यहां बहुत सारी स्क्रीनों के बीच स्पेस है
जहां एक लड़का और एक लड़की खड़े हो जाते हैं
वे साइबर स्पेस में भी बचाए रखना चाहते हैं अपनी जगह
सबने दुनिया में प्यार के लिए जगह बचा ली है

यह प्यास हर कहीं झलकती रहती है दुनिया में
और शांत जगहों के लिए लोग भटकते रहते हैं
मैं अपने दोस्त से कहना चाहता हूं
थोड़ी-सी शांत जगह बचाकर रखना अपने जीवन में ।